पुराने जमाने का मानव भी जान गया था कि सूर्य के कारण ही इस धरती पर उसका जीवन संभव है| इसलिए प्राचीन काल के लोगों ने सूर्य को देवता मानकर उसकी पूजा शुरू कर दी थी | आज हम जानते हैं कि पृथ्वी का संपूर्ण जीव जगत सूर्य के कारण ही टिका हुआ है | कोयला तेल लकड़ी आदि ईंधन में जो ऊर्जा छिपी हुई है वह सूर्य से प्राप्त हुई है | बीसवीं सदी के मध्य काल तक हम पूर्णता सूर्य की ऊर्जा पर ही निर्भर थे , लेकिन अब हमने परमाणु ऊर्जा की खोज कर ली है | यह परमाणु के भीतर की उर्जा है, सूर्य से इसका कोई संबंध नहीं, अब हम जानते हैं कि सूर्य में कौन सा इंधन जलता है | यह इंधन है, "हाइड्रोजन" ,अब हम भी हाइड्रोजन से ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं | हाइड्रोजन बम के विस्फोट से भरपूर मात्रा में उसी प्रकार की ऊर्जा प्राप्त होती है जैसे कि सूर्य में पैदा होती रहती है| बहुत जल्दी हम इस ताप नाभिकीय ऊर्जा पर नियंत्रण प्राप्त कर लेंगे , यह सब जानकारी हमें करीब पिछले 50 साल में ही मिली है |पुराने जमाने की ज्योतिषी इन सब बातों के बारे में कुछ नहीं जानते थे | वह नहीं जानते थे कि सूर्य हम से कितनी दूर है, और कितना बड़ा है, आर्यभट्ट, भास्कर, कूपन जैसे महान वैज्ञानिक की दूरी तथा इसके आकार से अनभिज्ञ थे| करीब 200 साल पहले ही सूर्य की सही दूरी के बारे में हमें जानकारी मिली है | सूर्य हम से करीब 14 करोड़ 90 लाख किलोमीटर दूर है | इस दूरी से हमारी पृथ्वी 1 साल में सूर्य का एक चक्कर लगाती है | खगोल विज्ञान में सूर्य पृथ्वी दूरी का विशेष महत्व है | ज्योतिषियों ने इस दूरी को खगोल इकाई का नाम दिया है इस दूरी को एक मानकर दूसरे ग्रहों की दूरियां बताई जाती है| हम बता ही चुके हैं कि सूर्य की किरणें इतनी दूरी करीब 8 मिनट में तय करती हैं |सूर्य पृथ्वी से कितना बड़ा है? इसेेेे समझने के लिए पहलेेे हमें पृथ्वी का आकार प्रकार जाननाा होगा हमारी पृथ्वी का व्यास करीब 12700 किलोमीटर है, और इसका भार लगभग 6600000000000 अरब टन है ,लेकिन सूर्य का व्यास पृथ्वी केे व्यास से 109 गुना अधिक है, सूर्य इतना बड़ा है कि इसमें हमारी पृथ्वी जैसे तेरा लाख पिंड समा सकते हैं| पर सूर्य पृथ्वी से 13 लाख गुना भारी नहींं है, कारण यह है कि सूर्य हल्की गैसों से बना है इसी लिए पृथ्वी के द्रव्य की तुलना में सूर्य के द्रव्य का घनत्व कम हैै फिर भी सूर्य पृथ्वी से 300000, 30,000 गुना भारी है| हम बता चुके हैंं कि सौर्य मंडल में नवग्रह करीब 60 उपग्रह हैं हजारोंं छुद्र ग्रह है, धूमकेतु एवं उल्काएँ भी हैं | इन सब की द्रव्य राशि की तुलना मैंं भी सूर्य बहुत बड़ा है | संपूर्ण सौरमंडल की 99. 87 प्रतिशत द्रव्य राशि अकेले सूर्य में समाई है! सूर्य अपने द्रव्य को बड़ी तेजी से खर्च कर रहा हैै | वर्तमान सदी के आरंभ में महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने हमें जानकारी दी कि द्रव्य को ऊर्जा से ऊर्जा में ऊर्जा को द्रव्य में बदला जा सकता है | उन्होंनेेेेे एक सूत्र द्वारा यह भी बताया की कितने द्रव्य से कितनी ऊर्जा पैदा होती है अति उच्चतापमान में हाइड्रोजन तत्व्वों के परमाणु आपस में मिलकर हीलियम तत्व के परमाणुओं मेंं बदल जाते हैं | इस प्रक्रिया में कुछ द्रव्य ऊर्जाज में बदल जाता है! सूर्य की सतह का तापमाननह 6000 सेंटीग्रेड है परंतु इसके केंद्र भाग का तापमान लगभग डेढ़ करोड़ डिग्री सेंटीग्रेरेट है | सूर्य के इसी केंद्र भाग में हाइड्रोजन हीलियम में तब्दील होती है | इस क्रिया में प्रति सेकंड 5640 लाख टन हाइड्रोजन 56000 लाख टन हीलियम में बदल जाता है | इस प्रकार एक सेकंड में सूर्य से 40 लाख टर्न द्रव्य ऊर्जा में रूपांतरित होता है! सूर्य के बारे में यह सारी जानकारी हमें आधुनिक युग में ही मिली है | लेकिन पुराने जमाने के ज्योतिषियों नेेे आकाश में सूर्य की गति के बारे में बहुत सी बातें जान ली थी | सूर्य की गति के आधार पर उन्होंने वर्ष का समय निर्धारित किया था | वह सूर्य ग्रहणओं का समय भी निर्धारित कर सकते थे | गैलीलियो ने पहली बार सूर्य कलंकों की खोज की | सूर्य की सतह के कुछ स्थानों का तापमानन कुछ कम है, इसीलिए यह क्षेत्र कुछ काले दिखाई देते हैं, सूर्य के यह कलंक लाखों किलोमीटर लंबे चौड़े होतेेे हैं, सूर्य में हमेशा उथल-पुथल मची रहती है, सूर्य की सतह पर ऊंची ऊंची ज्वाला उठती रहती है | ग्रहण के समय जब चंद्र्र् सूर्य सतह को जब ढक देता है तो इस ज्वाला को देखा जा सकता है | और उनके चित्र उतारे जा सकतेे हैं | यह ज्वाला तप्त गैसों का फव्वारा होती है, और लाखों किलोमीटर ऊपर उठकर फिर सूर्य की सतह पर आ गिरती हैं! वैज्ञानिकों ने पता लगाया है, हर 11 साल बाद सूर्य अधिक सक्रिय हो जाता है | इन 11 सालो में सौर्य ज्वाला कम ज्यादा होती हैं | और सूर्य कलंक भी घटते बढ़ते हैं सूर्य अपनी उर्जा को सब दिशाओं में फेकता रहताा है, इसमें से बहुत थोड़ी ऊर्जा प्रकाश व अन्य कारणों के रूप में हमारी पृथ्वी पर पहुंचती है| धरती पर सूर्य की इतनी ही ऊर्जा हमारे लिए पर्याप्त है | पृथ्वी यदि सूर्य के अधिक नजदीक होती तो इस पर हमारा जीवन असंभव था, यदि पृथ्वी सूर्य से और अधिक दूर होती तब भी हमारा जीवन असंभव था| ऐसा है हमारा सूर्य इसके कारण पृथ्वी पर हमारा जीवन संभव है | इसलिए सूर्य हमारे लिए महत्व का है| अन्यथा यह आकाशगंगा मंदाकिनी का एक सामान्य तारा है |सूर्य सौरमंडल का स्वामी है | नवग्रह इसकी परिक्रमा करते हैं | यह सभी ग्रह लगभग वृत्ताकार मार्ग में सूर्य की परिक्रमा करतेेे हैं सारे ग्रहों की कक्षाएं लगभग एक समतल में है | इसलिए हमारा सौरमंडल एक सीधी या पहिया कार का है | सौरमंडल केेेे सारे ग्रह सूर्य की एक ही दिशा मैं परिक्रमा करते हैंं, उत्तर ध्रुव की ओर बहुत ऊपर जाकर सौरमंडल को देखना संभव हो तो सरे गृह हमें घडी की सुइयों की उलटी दिसा में घूमते नजर आएंगे |
सूर्य के समीप के चार ग्रह है बुध, शुक्र , पृथ्वी , और मंगल यह छोटे ग्रह है | बृहस्पति, शनि ,यूरेनस, नेप्चून बड़े ग्रह है |सबसेेेेे दूर का प्लूटो ग्रह काफी छोटा है! उपरोक्त लेख में सूर्य से जुड़े कुछ रोचक और जानकारी भरे तथ्य रखे गएँ हैं आशा है आपको पसंद आएंगे धन्यवाद ......अमर पंडित
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