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#पांच चौंकाने वाली खबर, #एलियन को खोजने का दावा,# इलेक्ट्रॉनिक नाक,#त्रिआयामी नक्शा


 एलियन को खोजने का दावा
.:- अमेरिकी अनुसंधान संस्थान एक वैज्ञानिक ने दूसरे ग्रह के प्राणी अर्थात एलियन को खोजने का दावा किया है वैज्ञानिक द्वारा खोजा गया यह प्राणी बैक्टीरिया का जीवाश्म है जो अंतरिक्ष से पृथ्वी पर दशकों पहले गिरे उल्कापिंड ओं में पाया गया है नासा के मार्शल स्पर्श फ्लाइट सेंटर के खगोल जीव विज्ञानी डॉ रिचर्ड ने विश्व भर में पाए गए उल्का पिंडों के अवशेष पर शोध करने के बाद यह दावा किया है, डॉक्टर उबर के अनुसार अंटार्कटिका साइबेरिया और अलास्का में पाए गए उल्का पिंडों के असाधारण नमूनों पर शोध करने के बाद पाया कि पृथ्वी से परे भी जीवन है, और यह तथ्य पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत संबंधी प्रमाण दे सकता है ,इस क्षेत्र में अब तक ठीक प्रकार से पहल नहीं की गई है, क्योंकि कई बड़े वैज्ञानिक परग्रही जीवन को असंभव मानते हैं, उल्का पिंडों पर अपने शोध में डॉक्टर ने ऐसे अवशेष पाए हैं जो पृथ्वी से परे भी जीवन का संकेत देते हैं,   अब कैंसर का पता लगाएगी इलेक्ट्रॉनिक नाक:- वैज्ञानिकों ने एक ऐसी इलेक्ट्रॉनिक नाक बनाई है जो सांस के जरिए छोड़ी गई हवा की जांच मात्र से कैंसर का पता लगा लेगी, इसराइल यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी इतनी योन की एक टीम ने इस इलेक्ट्रॉनिक नाक को बनाया है, यह एक बेहद संवेदनशील उपकरण है, जो सिर और गले के कैंसर ट्यूमर संबंधी सूक्ष्म तत्वों को बाहर की ओर फेंक दी है, सिर और गले के कैंसर के ट्यूमर का सामान्य रूप से पता लगा पाना काफी मुश्किल होता है, वैज्ञानिकों के अनुसार यह नाक सांस के जरिए इन दोनों प्रकार के कैंसर रोग से पीड़ित होने की दशा में लोगों द्वारा छोड़े जाने वाली हवा से बेहद सूची रासायनिक परिवर्तन का पता लगाती है, विनयन आर्टिफिशियल नोज को एक छोटे समूह पर प्रयोग के रूप में प्रयोग किया गया है, लेकिन ऐसी उम्मीद है कि 1 दिन इसका प्रयोग नियमित आधार पर कैंसर का पता लगाने में किया जा सकेगा l.                                                                                          ब्रम्हांड का सबसे बड़ा त्रिआयामी नक्शा बनाने का दावा.:-  खगोल शास्त्रियों ने सुदूर ब्रह्मांड का अब तक का सबसे बड़ा त्रिआयामी नक्शा बनाने का दावा किया है, वैज्ञानिकों के अनुसार ब्रह्मांड के इस भाग से प्रकाश के आने में अरबों वर्ष लगते हैं, उनका यह नक्शा दिखाता है कि 11 अरब वर्ष पहले ब्रह्मांड कैसा दिखता था ,वैज्ञानिकों के अनुसार उन्होंने यह नक्शा तीसरे सोलन डिजिटल स्काई सर्वे SDSS 3 की सहायता से 14000 कासार से आए प्रकाश की सहायता से बनाया है, कसार आकाशगंगा के केंद्र में रहने वाले बेइंतहा वजन वाले ब्लैक होल्स हैं ,यह नक्शा बैरिओल को सिलेशन स्पेक्ट्रोस्कोपी सर्वे BOS SSD SS 3 के सबसे बड़े सर्वेक्षण का परिणाम है l.                                                                                     मंगल ग्रह पर मिला स्पेस स्टेशन:-. ग्रह पर जीवन होने के दावे किए जाते थे लेकिन अब अमेरिकी अंतरिक्ष प्रेमी ने एक कदम आगे बढ़ते हुए यहां स्पेस स्टेशन खोज निकाला है, डेविड मार्टिन ने लाल ग्रह पर अपनी इस खोज को बायो स्टेशन अल्फा नाम दिया है, अमेरिका के सिएटल में स्थित आर्ट क्राफ्ट संस्था ने अंतरिक्ष विज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए आर्म चेयर एस्ट्रोनॉट कार्यक्रम बनाया यह एक 3D कार्यक्रम है, जो लोगों ने लोगों को अंतरिक्ष का अनूठा अनुभव कराता है, इसमें विभिन्न अंतरिक्ष यान द्वारा मंगल ग्रह की ली गई हाई डेफिनेशन स्टीरियोस्कोपिक तस्वीरों के अध्ययन का अवसर भी दिया जाता है, इन्हीं के अध्ययन के दौरान डेविड मार्टिन ने यह स्पेस स्टेशन खोजने का दावा किया ,डेविड ने स्पेस स्टेशन का एक वीडियो तैयार करके यूट्यूब पर डाला है, 200000 से अधिक लोग इस वीडियो को देख चुके हैं ,उन्होंने इस संरचना की तुलना किसी रिहायशी इलाके से करते हुए बताया है कि इस पर लाल और नीली पट्टी अभी दिखाई दे रही हैं ,MORTIN ने इसे बायो स्टेशन अल्फा नाम दिया है, क्योंकि मार्टिन के अनुसार इस पर जीवन है, यह कभी रहा होगा, अनुमान के अनुसार यह लगभग 700 फीट लंबा और 150 फीट चौड़ा हो सकता है, यह पावर स्टेशन या गैरेज या कोई अपार्टमेंट भी हो सकता है l.                            नासा ने सूर्य के धब्बों का राज खोला:-.  भारत के शीर्ष वैज्ञानिक संगठन और नासा द्वारा प्रायोजित एक संयुक्त अनुसंधान और कोलकाता के एक वैज्ञानिक ने सूर्य के 11 वर्षीय चक्र के दौरान, सौर गतिविधियों में कमी आने की पहेली को हल कर लिया है, विश्व भर के शौर्य वैज्ञानिक वर्ष दो हजार आठ नौ के दौरान सूर्य के धब्बों के लापता होने से चकित थे, पिछले 100 वर्षों के दौरान यह सर्वाधिक न्यूनतम और गतिविधि थी ,न्यूनतम और गतिविधि के दौरान सूर्य के धब्बे और शौर्य अंधों की आवृत्ति अधिकतम कम होती है, नासा के अनुसार शहर गतिविधियों की न्यूनतम का असर अंतरिक्ष यात्रा की सुरक्षा और ग्रह द्वारा इकट्ठा किए जाने वाले कक्षीय कचरे की मात्रा पर पड़ता है, भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान कोलकाता के प्रमुख लेखक वइंदु नंदी के अनुसार सूर्य के भीतर उपस्थित प्लाज्मा की धाराओं ने सूर्य के धब्बों के निर्माण में हस्तक्षेप किया और शौर्य न्यूनता को बढ़ाया, नास के लिविंग विद स्टार कार्यक्रम और भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्त पोषित इस अनुसंधान से पता चला है कि जनता की अवधि में सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र कमजोर हो जाता है, जिसके कारण रिकॉर्ड संख्या में अंतरिक्ष किरणों और सर प्रणाली में प्रवेश कर जाती हैं, जिसके कारण अंतरिक्ष की यात्रा जोखिम पूर्ण हो जाती है, इसके साथ ही पराबैगनी किरणों में कमी के कारण पृथ्वी की ऊपरी सतह ठंडी होकर ध्वस्त हो गई, नास के विज्ञान मिशन निदेशक निदेशालय में हीरो फिजिक्स डिवीजन के निदेशक रिचर्ड फिशर के अनुसार ,इस अनुसंधान से यह प्रदर्शित होता है कि हीलियो फिजिक्स सिस्टम आर वेरी मिशन के परीक्षण किस प्रकार नए सिद्धांत और विकसित तकनीक को प्रोत्साहित करते हैं ,शौर्य चक्र  की गतिविधि सूर्य से निकलने वाली प्रदीप्ति है जिसका अनुभव पृथ्वी पर होता है l

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