बुध और शुक्र ग्रह हमारी पृथ्वी की अपेक्षा सूर्य के अधिक समीप हैं | इसलिए इन ग्रहों को सूर्योदय व सूर्यास्त के समय सूर्य के आसपास ही देखा जा सकता है | इनमें बुध सूर्य के अधिक नजदीक है | सूर्य की तेज रोशनी के कारण इस ग्रह को मुश्किल से ही पहचाना जा सकता है | फिर भी बहुत प्राचीन काल में बुध ग्रह को पहचान लिया गया था | प्राचीन काल के ज्योतिषियों को आकाश के जिन पांच ग्रहों का ज्ञान था उन्हें बुध भी एक है हमारे देश में इन 5 ग्रहों को पंचदेव माना गया है | पुराणों की कथा के अनुसार बुद्ध शर्मा का पुत्र है बुद्ध का अर्थ होता है बुद्धिमान यूनानी लोगों ने भी ग्रहों को अपने देवताओं के नाम दिए थे |बुद्ध को उन्होंने मरकरी कहा, उनकी कथाओं का मरकरी देवता तेजी से दौड़ कर एक देवता का संदेशदुसरे देवता तक पहुंचा देता था | जब उन्होंने देखा कि बुध ग्रह भी आकाश में तेजी से चलता है तो इसे मरक्यूरी नाम दिया | रोमन लोग मरक्यूरी को व्यापार का देवता मानते थे पुराने जमाने के लोगों ने ग्रहों को अपने देवताओं के नाम दिए, तो यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है | पिछले 200 साल में तीन नए ग्रह खोजे गए, यूरेनस, नेप्चून और प्लूटो यह भी यूनानी देवताओं के ही नाम है | लेकिन इन नामों के आधार पर जब आदमी का भविष्य बतलाने का गोरखधंधा खड़ा किया जाता है तो हमें बड़ा आश्चर्य होता है| जैसे बुध ग्रह की किसी खास स्थिति के समय किसी बालक का जन्म होता है तो पश्चात देश के फलित ज्योतिष कहेंगे कि वह बालक आगे जाकर व्यापारी होगा क्योंकि उनके अनुसार बुध ग्रह व्यापार का देवता है लेकिन हमारे देश का फलित ज्योतिष कहेगा कि वह बालक बड़ा बुद्धिमान होगा आज हम जानते हैं कि बुध ग्रह पर किसी प्राणी का अस्तित्व नहीं है | दिन में तापमान 400 डिग्री सेंटीग्रेड पर पहुंच जाता है ,और दूसरे गोलार्ध में शून्य के नीचे - 200 सेंटीग्रेड हो जाता है | हमारी पृथ्वी का व्यास 12700 किलोमीटर है लेकिन बुध्ह के गोले का व्यष 4850 किलोमीटर है | हमारे चन्द्र का व्यष 3476 किलोमीटर है | बुध ग्रह केेेेेे सूर्य के समीप होने से इसके अनुसंधान में अनेक कठिनाइयां है ,बुध एक अति तप्त संसार है इसके तप्त गोलार्ध में टीन वा सीसा भी पिघल जाएगा इसलिए बुध ग्रह पर अभी तक कोई मानव रहित अंतरिक्षष यान नहीं उतारा गया हैै| चंद्र की तरह बुध भी हमें घटती बढ़ती कलाओं के रूप में दिखाई देता हैै | बुध की इन कलाओं को दूरबीन से ही देखा जा सकता है | जब यह पृथ्वी के सबसे नजदीक आता है तब हम इसेे नहीं देख सकते, क्योंकि तब इसका अंधेरा गोलार्ध हमारी तरफ रहता है | सूर्य का चक्कर लगानेेेेे के लिए भेजे गए अमेरिकी अंतरिक्ष यान मेरीनर -10 ने 1974 में दो बार जाते और लौटते समय बुध के कुछ नजदीक से बहुत सारे चित्र उतारे थे, जिससे पता चलता हैैै कि बुुुुुध पर भी चंद्रमा जैसे खड्डेडे हैं ,और हाइड्रोजनड हीलियम का स्वल्प वायुमंडल है | इस ग्रह की सभी भौतिक परिस्थितियों पर विचार करने से यही स्पष्ट होता है की इस पर किसी प्रकार के जीव जगत का अस्तिव संभव नहीं है |इंसान भी बहुुत ही मुस्किल से इस पर उतर पाएगा l. शुक्रर ग्रह इस ग्रह को आकाश में आसानी से खोजा जा सकता शुक्र कभी पश्चिम आकााश में दिखाई देताा है और कभी पूर्व आकाश में है ग्रामीण लोग इसे सुकवा कहते हैं सूर्यास्त के करीब आधे घंटे बाद क्षितिज पर यह दिखाई देता है | रात्रि में चंद्रमा के बाद सबसे अधिक चमकीला तारा यही है इसलिए इसेेे आसानी से पहचाना जा सकता है इसी प्रकार सूर्योदय के कुछ पहले पूर्व दिशा में देखिए वहा भी एक चमकीला तारा दिखाई देगा, सूर्योदय के साथ आकाश के तारेेेेेे धीरे-धीरे लुप्त हो जाते हैं लेकन आकाश के पूर्वी क्षेत्र में यह तारा सबसे अंत में लुप्त होगा
यह "भोर का तारा" और "साय काल का तारा" हैै यह तारा नहीं शुक्र ग्रह है | बहुत प्राचीन काल में वैदिक साहित्य में इस ग्रह के लिए शुक्र तथा वेन्न मिलते हैं यूनानी लोग इसेे कुप्रिश कहते थे रोमन लोगोंं ने इसे वीनस नाम दिया वीनस सौंदर्य की देवी है | व्हेन और वीनस शब्दों में साम्य है |आकाश में जितने भी पिंड हैं चंद्र हमारे सबसे नजदीक है |यह हमारी पृथ्वी का उपग्रह है लेकिन सौरमंडल में ग्रहों मैं शुक्र ही हमारे सबसे नजदीक है | सबसे नजदीक आने पर शुक्र्र्र की पृथ्वी की दुरी 380 लाख किलोमीटर ही रह जाती है | शुक्र दूसरे नंबर का ग्रह है | इसलिए ये हमारी अपेक्षा सूर्य से ज्यादा नजदीक है |यह१०८२लख किलोमीटर की औसत दुरी से हमारे 225 दिनों में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करता है | सौरी मंडल के ग्रहों में शुक्र ही एक एसा ग्रह है जो आकर प्रकार में हमारी पृथ्वी से मिलता जुलता है |यह हमारी पृथ्वी से थोडा ही छोटा है | शुक्र का व्यष 12228 किलोमीटर है, भार में यह हमारी पृथ्वी से थोडा ही हल्का है |
शुक्र ग्रह को सूर्य की ऊर्जा हमसे ढाई गुना ज्यादा मिलती है |अमेरिका और रुष ने कई मानव रहित अंतरिक्ष यान शुक्र ग्रह की ओर भेजे हैं | सोवियत संघ ने वेनेरा और अमेरिका ने मैरिनर नमक यान शुक्र ग्रह की ओर भेजे हैं | सोवियत संघ ने 1948 में विहे विनाश हेली नमक जो दो यान छोड़े उन्होंने पहले शुक्र पर अन्वेषण किया और बाद में हेली धूमकेतु का निरिक्षण किया |लेकिन शुक्र के बारे में अनेक बातें अज्ञात हैं | इसका कारन वहा का वायु मंडल है जो की सघन गैसे का बना है |शुक्र हमारे एक दिन में ही अपनी धुरी का एक छककर लगा लेता है |लेकिन कुछ वैज्ञानिकों का कहना है की इसमें 243 दिन का समय लगता है | कुछ नए अनुसन्धानो से पता लगा है की शुक्र अन्य ग्रहों की तरह अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व की और चककर नहीं लगत बल्कि बिपरीत दिसा में चक्कर लगता है | इसका एक दिन हमारे चार महीनो के बराबर होता है हमारी पृथ्वी की तरह शुक्र पर भी घना वायु मंडल है |इसके वायु मंडल में 98%कार्बन डाईऑक्साइड गैस है |शुक्र के वायु मंडल में ऑर्गन गैस की अधिकता है |शुक्र ग्रह का कोई चंद्रमा नहीं है |
शुक्र ग्रह को सूर्य की ऊर्जा हमसे ढाई गुना ज्यादा मिलती है |अमेरिका और रुष ने कई मानव रहित अंतरिक्ष यान शुक्र ग्रह की ओर भेजे हैं | सोवियत संघ ने वेनेरा और अमेरिका ने मैरिनर नमक यान शुक्र ग्रह की ओर भेजे हैं | सोवियत संघ ने 1948 में विहे विनाश हेली नमक जो दो यान छोड़े उन्होंने पहले शुक्र पर अन्वेषण किया और बाद में हेली धूमकेतु का निरिक्षण किया |लेकिन शुक्र के बारे में अनेक बातें अज्ञात हैं | इसका कारन वहा का वायु मंडल है जो की सघन गैसे का बना है |शुक्र हमारे एक दिन में ही अपनी धुरी का एक छककर लगा लेता है |लेकिन कुछ वैज्ञानिकों का कहना है की इसमें 243 दिन का समय लगता है | कुछ नए अनुसन्धानो से पता लगा है की शुक्र अन्य ग्रहों की तरह अपनी धुरी पर पश्चिम से पूर्व की और चककर नहीं लगत बल्कि बिपरीत दिसा में चक्कर लगता है | इसका एक दिन हमारे चार महीनो के बराबर होता है हमारी पृथ्वी की तरह शुक्र पर भी घना वायु मंडल है |इसके वायु मंडल में 98%कार्बन डाईऑक्साइड गैस है |शुक्र के वायु मंडल में ऑर्गन गैस की अधिकता है |शुक्र ग्रह का कोई चंद्रमा नहीं है |
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