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रेल की सवारी यारों की यारी

रेल की सवारी यारों की यारी मोटे हाथी का पेट रेल के दरवाजे में फस गया था, उसकी टोली के ज्यादातर जानवर डब्बे में घुस चुके थे, और कुछ बाहर रह गए थे, यह सभी हिल क्वीन नामक छोटी रेल से शिमला जा रहे थे, रेल ने सिटी बजाए तो दरवाजे में फंसा हुआ मोटा हाथी रोने लगा, बाहर छूट गए जानवर चिल्लाने लगे, छोटू बंदर कूदा और खिड़की में से भीतर चला गया, भालू भालू रेल की छत पर चढ़ने लगा, दूसरे डिब्बे में इतनी भीड़ थी कि किसी ने दरवाजा नहीं खोला नीलू गाय और बी की बकरी घबराई हुई  डब्बे के दरवाजे पर दस्तक दे रही थी, भोंदू गधे ने भीतर जाने का कोई रास्ता ना पाकर अपने आप से कहा क्या जमाना आ गया जानवर भी आदमी की तरह बेरहम हो गए ,कछु कछुआ प्लेटफार्म की बेंच पर धम्म से बैठ गया और बढ़ाया मैं बाद में पैदल आता रहूंगा कौन जाने आगे जाकर यह रेल सो जाए और मैं इसे पार कर जाऊं ,दरअसल तो तू हर स्टेशन पर दर्जनों केले खाता आ रहा था, जिससे उसका पेट कुछ और भूल गया था, भीतर से उसके साथी उसे जोर से खींच रहे थे, भोंदू तुम बाहर से इसे धकेलो भीतर से जिराफ चंद चिल्लाया, हम भीतर से खींचते हैं, जल्दी करो किसी वन  के मुसाफिर ने छत की तरफ देखा और चिल्लाया ,अरे भालू नीचे उतरो आगे लंबी सुरंग है, तुम उससे टकराकर मारे जाओगे, मगर तुम जानते होगे कि भालू को चढ़ने में देर नहीं लगती पर उतरने में बहुत वक्त लगता है, भालू भालू ने कहा कोई बात नहीं तुम डब्बे की बगल में लटक जाओ, रेल ने दूसरी सिटी दे दी ,और हिलने लगी, भोंदू ने सोनू के हाथ से लटके 5 दर्जन केले छीन कर फेंक दिए, 1..2..3 सब चिल्लाए, और इसी के साथ तूने उल्टे होकर तू की पीठ पर धूल अति + दी तो तू के भीतर जाते ही सब सरपट भीतर जा घुसे ,मेरे अकेले तू अब खेलों के लिए रो रहा था, अरे भोलू बाहर रह गया, नीलू राम भाई,, चेन खींच लो ,,डब्बे के ऊपर ही बर्थ पर लेटे किसी अजनबी गेंडे ने कहा हां हां चेन खींचो ,सब चिल्लाए मगर ऊपर को नहीं नीचे खींचो ,जिराफ चंद बोला, मैं रेल कि नहीं तुम्हारे तनु राम की पतलून की चैन की बात कर रहा हूं ,वह देखो खुल गई है, जिराफ चंद जब रेल रुकवाने के लिए चेन खींचने लगा तो गेंडे ने करवट बदल कर कहा इसे रहने दो इसे मैं बहुत पहले ही चुका हूं तभी तो यह आराम से खड़ी है ,मगर तुमने हमें बताया क्यों नहीं? ,तो तूने अपनी अस्त-व्यस्त पतलून को ठीक करते हुए पूछा, मुझे तुम्हारा खेल देखना था, फिर तुम लोग ऐसी भगदड़ मचा रहे थे कि मेरी कौन सुनता, अच्छा अब मुझे सोने दो, तभी बाहर शोर हुआ,, तुम्हें रेल की छत पर चढ़ने के जुर्म में ₹500 का जुर्माना किया जाता है, रेल पुलिस के अफसर सीतानाथ ने भोलू को नीचे खींच कर  कहा, मगर अफसर जी रेल की चेन to gainde ने खींची थी जो खर्राटे लेकर सो रहा है, अपनी गर्दन भीतर से बाहर निकालते हुए जिराफ चंदने बताया, भोलू तो मजबूरी में छत पर गया था,, और उसी वक्त नीचे उतरने लगा था उधर तू के इशारे पर बाहर खड़े लव कुश दल ने उसे खेलों से भरा थैला पकड़ा दिया, अपना हिस्सा उसने पहले ही ले लिया इसका मतलब यह हुआ कि गलती ज्यादा खाने वाले की सोनू की है, हंसकर बोला नहीं गलती तो छोटी रेल के लिए मोटे जानवरों को टिकट देने वालों की है, तो तूने सबको हंसा दिया ,गहरी नींद में सो चुके हैं जाकर पूछा कौन सा स्टेशन आ गया, मुझे सोलन उतरना है, अब तो सबका हंस-हंसकर बुरा हाल हो गया ,तुम सो जाओ हम चेन खींचकर रेल रुकवा लेंगे गोटू खरगोश ने सीट के नीचे से कहा ,कुछ देर में रेल बड़ोग स्टेशन छोड़कर एक अंधेरी सुरंग से गुजर रही थी, ऐसी कितनी सुरंग इस रास्ते पर रेल की छत पर लटके एक चमगादड़ ने ,?पूछा पूरी 102 विकी बकरी ने बताया, मेरे दादाजी बताते हैं कि यह रास्ता अंग्रेजों ने एक चरवाहे के मदद से बनाया था, उस चरवाहे का नाम हल्कू राम था, वह इस इलाके में भेड़ बकरियां चराता था ,और उसे यहां के चप्पे-चप्पे की जानकारी थी,, मैंने सिर्फ सुरंगों की संख्या पूछी थी, तुम्हारे बुजुर्गों को चलने वाली की कहानी नहीं,, चमगादड़ ने आंखें झुकाते हुए कहा ,,मुझे सुरंगों का अंधेरा अच्छा लग रहा है, यह सुनकर जिराफ चंद ने अपनी गर्दन उसके कान के पास पहुंचा कर पूछा तुम तो उड़ कर भी शिमला पहुंच सकते थे, चाहे रात को जाते चाहे सुरंगों में से जाते पैसे खर्च करके यहां क्यों लटके पड़े हो, तुम लोगों का तमाशा देखने के लिए चमगादड़ बोला, वैसे यह भी सच है कि लटके लटके शिमला पहुंचने का मजा ही कुछ और है ,,रेल सुरंग से बाहर निकली और निकलती मोड की ओर बढ़ी बचाओ बचाओ अचानक कोई चिल्लाया, कछु कछुआ खिड़की से बाहर गिर गया है, बाहर से एक गाय सीखी चिंता ना करो मैं अगले स्टेशन पर कछुए के साथ पहुंच रही हूं, रेल धीमी गति से चल रही होती तो किसी को गाय की आवाज न सुनाई देती, मगर यह हमें अगले स्टेशन पर कैसे मिल जाएगी ,मोदी ने सिर्फ जाते हुए पूछा क्या इसके पास हवाई जहाज है, विकी ने बताया यहां कई मोड़ हैं, इस समय हमारी रेल धीमी गति से नीचे जा रही है, लेकिन नीचे जाने के लिए इसे उधर से उधर तक लंबे रास्तों पर जाकर मुरैना है, जबकि यह गाय कछु के साथ सीधी पगडंडी से नहीं थे उतर जाएगी, और सचमुच अगले स्टेशन पर गाय के साथ खड़ी मिली, सब ने उसका धन्यवाद किया और के माथे की चोट पर दवा लगाई,, मेरा नाम दुधारू है, गाय ने बताया ,,मैं रोज यहां से आती हू चढ़ते चढ़ते जब मैं नीचे उतरती हूं तो यह रेल कई बार मेरे सामने से गुजरती है, तो तूने दुधारू को एक दर्जन केले खिला कर 5 दर्जन केले और खरीद लिए ,लेकिन वह खुद बाहर नहीं निकला, मैं शिमला में ही बाहर निकलूंगा और उसी के बाद केले अकेले में खाऊंगा, तब तक मेरा पेट कुछ ढीला भी हो जाएगा, तो तू बोला दुधारू ने से बढ़िया दूध वाली चाय पिलाई और विदाई दी, रेल एक और सुरंग से चली फिर अंधेरा हो गया ,तभी एक मोटे सारे चूहे ने गेडे के पेट पर गुदगुदी की और छिप गया, यह कौन बदतमीज है,, गैंडा गुस्से से सीखा बदतमीज नहीं है,, तुम्हारा सोलन बंद है,, जागो सुरंग की ओर स्टेशन आ रहा है कह कर चूहे ने एक बार फिर अंधेरे में उसके पेट पर छलांग लगाई ,,और छिप गया, सुरंग के बाहर आते ही सब खुशी से गीत गाने लगे l


Comments

Unknown said…
This blog is very easy way to say his story was I'm surprised,but sum mistec
Pathik said…
Rel ke visay me ek post jarur karen

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